Aligarh Development Authority

शमन सम्बन्धित शासनादेश
संख्या : 5402.9.आ.1.1997

प्रेषक,
श्री अतुल कुमार गुप्ता
सचिव

उत्तर प्रदेश शासन।

आवास अनुभाग-1
लखनऊ

दिनांक 11 नवम्बर 1997

सेवा में,
उपाध्यक्ष,
समस्त विकास प्राधिकरण
उत्तर प्रदेश।
विषय : निजी निर्माताओं द्वारा संचालित गुप हाउसिंग योजनाओं में निर्माण के समय किये गये परिवर्तन, परिवर्धन के शमन के सम्बन्ध में।
महोदय,
उपर्युक्त विषय पर मुझे कहने का निर्देश हुआ है कि भवन निर्माण के समय तकनीकी एवं कारणोंदश कर्इ बार छोटे-छोटे परिवर्धन कर लिखे जाते हैं जिन्हें निम्न तीन श्रेणियों में रखा जा सकता है।
(अ) ऐसे परिवर्तन, परिवर्धन, जो भवन उपविधियों के अन्तर्गत है और निर्माण के पूर्व मानचित्र की स्वीकृति हेतु निर्धारित प्रक्रिया करने पर स्वीकृति करने के योग्य होते हैं।
(ब) ऐसे परिवर्तन, परिवर्धन, जो उपरोक्त (आ) में नहीं आते परन्तु प्रचलित शमन उपविधियों के अन्तर्गत शमन योग्य हैं।
(स) ऐसे परिवर्तन, परिवर्धन, जिनका शमन नहीं किया जा सकता।
प्रक्रियात्मक सरलीकरण के उद्देश्य से उपरोक्त तीनों प्रकार के परिवर्तन, परिवर्धन, के शमन हेतु शासन द्वारा तात्कालिक प्रभाव से निम्न प्रक्रिया निर्धारित की जाती है।
ख, श्रेणी (अ) तथा (ब) के परिवर्तन, परिवर्धन, के सम्बन्ध में निर्माता द्वारा इस आशय का एक प्रमाणपत्र अर्ह वास्तुविद से अंकित कराकर कि निर्माण के दौरान हुए परिवर्तन, परिवर्ध श्रेणी (अ) अथवा (ब) के अन्तर्गत आते हैं संशोधित मानचित्र स्वीकृति हेतु जमा किये जायेंगे।

ख2. निजी निर्माता श्रेणी (अ) तथा (ब) के ऐसे परिवर्तन, परिवर्धन हेतु प्रचलित शमन उपविधि के अनुसार देय शमन शुल्क का स्वयं निर्धारण कर शुल्क की धनराशि प्राधिकरण के निर्धारित खाते व मद में जमा कर

संशोधित मानचित्र की स्वीकृति हेतु आवेदन करेंगे। शुल्क की दर वही होगी जो धन जमा करने की तिथि में लागू होगी। निर्धारित शमन शुल्क जमा कर आवेदन किये जाने पर निर्माण कार्य जारी रखा जा सकेगा। परन्तु

यदि प्राधिकरण द्वारा जांचोपरान्त वास्तुविद का प्रमाणपत्र सही नहीं पाया जाता है तथा कोर्इ भाग शमनीय नहीं पाया जाता है तो वास्तुविद के विरूद्ध किसी भी कार्यवाही के अतिरिक्त उसका उत्तरदायित्व स्वयं निर्माता का

भी होगा। इसी प्रकार शमन शुल्क की देयता प्राधिकरण द्वारा किये गये आंकलन के अनुसार ही होगी और यदि वह भुगतान समय से नहीं किया जाता है तो निर्माण अनाधिकृत ही माना जायेगा एवं तद्नुसार कार्यवाही की
जा सकेगी।

ख 3, श्रेणी (स) के अन्तर्गत आने वाले परिवर्तन, परिवर्धन के सम्बन्ध में कोर्इ रियायत नहीं होगी। ऐसे परिवर्तन, परिवर्धन के विरूद्ध सक्षम प्राधिकरण द्वारा तत्काल वैधानिक कार्यवाही की जायेगी। जिसमें निर्माण कार्य
सीलबन्द करना भी शामिल है।

ख 4, अर्ह वास्तुविद से तात्पर्य ऐसे वास्तुविद से है जो काउंसिल ऑफ आर्किटेक्ट से पंजीकृत है। यदि वास्तुविद के प्रमाण पत्र में कोर्इ त्रुटि पायी जाती है तो वह सभी वैधानिक दण्डात्मक कार्यवाही का पात्र होगा।

कृपया उक्त आदेशों का कड़ार्इ से अनुपालन करने का कष्ट करें।

भवदीय,
अतुल कुमार गुप्ता
सचिव